Rautu ka raaz review in hindi
रौतू का राज 2024 की भारतीय हिंदी भाषा की रहस्यमयी फिल्म है, जो आनंद सुरपुर द्वारा निर्देशित और उमेश कुमार बंसल, आनंद सुरपुर और चिंटू श्रीवास्तव के साथ ज़ी स्टूडियो द्वारा निर्मित है। फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी, नारायणी शास्त्री, राजेश कुमार और अतुल तिवारी मुख्य भूमिका में हैं
Rautu K
आपको पहाड़ पसंद हैं, जिस तरह पहाड़ों में जिंदगी की रफ्तार जरा सुस्त होती है, सब कुछ आराम से चलता है. उसी तरह की ये फिल्म है, ये भी आराम से चलती है. सुस्ती के साथ, मामला एक मर्डर का है लेकिन जांच पहाड़ों वाली सुस्ती से होती है लेकिन ये सुस्ती मजेदार है, दिलचस्प है और आपको बांधे रखती है.
मर्डर मिस्ट्री फिल्में हमेशा से दर्शकों की पसंदीदा रही हैं। खासकर ओटीटी के दर्शकों का एक वर्ग इस तरह की फिल्मों को बेहद पसंद करता है। लेकिन अमूमन इस मिजाज की फिल्मों में काफी तेजी से घटनाक्रम बदलते हैं, लेकिन इस हफ्ते सीधे ओटीटी पर रिलीज हुई नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म ‘रौतू का राज’ एक ऐसी थ्रिलर है, जिसमें मर्डर मिस्ट्री धीमे अंदाज में सुलझती है। बावजूद इसके अपनी मजेदार कहानी के चलते यह आपको पसंद आती है।
‘रौतू का राज’ की कहानी क्या है
फिल्म उत्तराखंड के मशहूर हिल स्टेशन मसूरी के एक गांव रौतू की बेली की कहानी है। पहाड़ी इलाका होने के कारण यहां लोगों की जिंदगी में किसी तरह की आपाधापी नहीं है। यहां के लोगों का अपराध से कम वास्ता होने के कारण पुलिसवालों के पास कम ही काम होता है। खूबसूरत वादियों में बसे इस गांव में दिव्यांग बच्चों का एक स्कूल सेवाधाम है। लेकिन एक दिन अचानक उस इलाके के इंस्पेक्टर दीपक सिंह नेगी (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) को खबर मिलती है कि सेवाधाम स्कूल की वार्डन संगीता (नारायणी शास्त्री) की हत्या हो गई है। वह अपने साथी सब इंस्पेक्टर नरेश प्रभाकर डिमरी (राजेश कुमार) के साथ मिलकर मामले तफ्तीश शुरू करता है। हत्या के मामलों की जांच का अनुभव नहीं होने के कारण इंस्पेक्टर दीपक और उसके साथियों को तमाम तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है। इसी बीच शक की सूई स्कूल के मैनेजर मनोज केसरी (अतुल तिवारी) की ओर घूमती है। वहीं स्कूल के प्रिंसिपल से लेकर कुछ और लोग भी शक के घेरे में आते हैं। साथ ही एक नई बात पता लगती है कि स्कूल की बेशकीमती जमीन पर कुछ माफिया भी नजर जमाए हुए हैं। क्या इंस्पेक्टर दीपक नेगी रौतू में हुई इस हत्या के राज को सुलझा पाते हैं? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
‘रौतू का राज’ सेकंड हाफ में और दिलचस्प
फिल्म के डायरेक्टर आनंद सुरापुर ने एक दिलचस्प कहानी को मजेदार अंदाज में पर्दे पर उतारा है। दो घंटे से भी कम लंबाई वाली यह फिल्म सीधे मुद्दे पर आ जाती है। उसके बाद मर्डर मिस्ट्री की जांच धीमे-धीमे आगे बढ़ती है। गांव के सुरम्य वातावरण में सीधे सादे लोगों के बीच कॉमेडी के सींस आपको लुभाते हैं, तो स्लो मोशन में चलती थ्रिलर मिस्ट्री भी आपको बांधे रखती है। इंटरवल से पहले धीमे मगर मजेदार अंदाज में आगे बढ़ती फिल्म आपका मनोरंजन करती है तो सेकंड हाफ में कहानी और भी दिलचस्प हो जाती है। वहीं फिल्म का क्लाईमैक्स आपको हैरान देता है।