savi review Hindi

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हालिया रिलीज ‘क्रू’ में हमने नायिकाओं को वो सब करते देखा, जो पर्दे पर अब तक नायक करते आ रहे थे। उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए निर्देशक अभिनय देव अपनी हीरोइन से जेल में सेंध लगवाते नजर आ रहे हैं। सत्यवान-सावित्री की कथा से तो आप सभी परिचित हैं ही। कैसे सावित्री अपने पति सत्यवान को यमराज के हाथों से मौत के चंगुल से बचा कर लाई थी। अभिनय देव की सावी (दिव्या खोसला) आज के मॉडर्न जमाने की सावित्री है, जो कहने को महज एक हाउस वाइफ है, मगर बात जब पति की बेगुनाही पर आती है, तो वो पति को छुड़ाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है, जेल तोड़ने को भी।

 

‘सावी’ की कहानी

कहानी है लंदन के लिवरपूल में रहने वाली एक गृहिणी सावी (दिव्या खोसला) की, जो अपने पति नकुल सचदेव (हर्षवर्धन राणे) और बेटे के साथ खुशहाल जिंदगी बिता रही है, मगर एक दिन उसके हंसते-खेलते जीवन में तब तूफान आ जाता है, जब कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने वाले उसके पति को अपने बॉस की हत्या के आरोप में अरेस्ट कर ल‍िया जाता है। सावी को अपने पति की बेगुनाही पर पूरा यकीन है। वह पति की रिहाई के लिए पूरी कोशिश करती है, मगर जब वह कानून के जरिए नकुल को रिहा करवाने में नाकाम रहती है, तब वो लेखक और एक समय मुजरिम रह चुके जयदीप पॉल (अनिल कपूर) की मदद लेती है।

 

सावी और जयदीप जेल से नकुल को निकालने का ऐसा प्लान बनाते हैं, जो दुनिया और जयदीप की नजर में नामुमकिन है। मगर सावी अपने पति को जेल से भगाने के लिए कटिबद्ध है। क्या सावी लिवरपूल पुलिस की नजरों में धूल झोंककर नकुल को जेल से भगा पाती है? क्या नकुल बेगुनाह साबित हो पाता है? इनके बच्चे का क्या होता है? इन सारे सवालों के जवाब आपको फिल्म देखने पर ही मिल पाएंगे।

‘सावी’ का फर्स्ट हाफ सपाट है। मध्यांतर के बाद कहानी में तेजी आती है और कुछ टर्न और ट्विस्ट के साथ आगे बढ़ती है। हॉलिवुड में जेल तोड़ने जैसे विषय पर कई शानदार थ्रिलर बनी हैं। अभिनय देव ने इस जॉनर में हीरोइन ओरिएंटेड फिल्म बनाकर साहस का काम किया है, मगर एग्जीक्यूशन लेवल पर फिल्म उन्नीस साबित होती है। फर्स्ट हाफ में एडिटिंग की कमी खलती है। फिल्म का संगीत भी औसत है।

 

‘सावी’ मूवी रिव्‍यू

‘देल्‍ही बेली’ और ‘ब्लैकमेल’ जैसी फिल्में और ’24’ जैसी टीवी सीरीज बना चुके निर्देशक अभिनय देव की इस फिल्म का सूत्र भले पौराणिक कथा से लिया गया है, मगर निर्देशक ने उसे थ्रिलर अंदाज में पेश करने की कोशिश की है। हालांकि फिल्म कुछेक बिंदुओं पर दर्शकों को बांधे रखने में सफल रहती है, मगर कहानी के कई छोर ऐसे हैं, जो ढीले पड़ जाते हैं।

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